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SHODH GURU International Research Journal of Education

वर्ष – 2 | अंक 1 | जनवरी, 2025

Contents/ विषय सूची

Overview Abstract Keywords Reference

1. माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान के प्रायोगिक शिक्षण की वर्तमान स्थिति : एक अध्ययन

डॉ. सचिन कुमार

सारांश

छात्र वर्ग कक्ष में शिक्षण के दौरान सैद्धांतिक रूप से सीखी हुई बातो को प्रयोगशाला कक्ष में प्रायोगिक शिक्षण के दौरान वास्तविक परिस्थिति में प्रयोग कर सिखाता है। इससे छात्र की जिज्ञासा सन्तुष्ट होती है और सृजनात्मक क्षमता के साथ - साथ रचनात्मक शक्ति का विकास होता है। और छात्र कार्य कारण सम्बन्ध स्थापित करने और सत्य को परखने की आदत भी विकास होता है। क्योंकि विज्ञान वह ज्ञान है, जिसकी प्रमाणिकता प्रयोगों द्वारा सिद्ध की जाती है। इसलिए केवल विषय को मौखिक रूप से अथवा पुस्तकों द्वारा पढ़कर अच्छे ढंग से नही समझा जा सकता है। इसके लिए छात्रों को निरिक्षण और प्रयोग करने की आवश्यकता होती है। जिसकी पूर्ति सुसज्जित प्रयोगशाला कक्ष और उसके नियमित उपयोग से ही संभव है।

मुख्य शब्द : विज्ञान के प्रायोगिक शिक्षण, जिज्ञासा सन्तुष्ट, प्रयोगशाला कक्ष

संदर्भ ग्रंथ सूची

  1. पीटर जेटी मॉरिस (2015): द मैटर फैक्ट्री ए हिस्ट्री ऑफ द केमिस्ट्री लेबोरेटरी, 15 अप्रैल, 2015, पृ. सं.-71
  1. कुमार त्रिवेणी (2023) www.jantaserista.com, 80 जनता से रिश्ता 20 मार्च 2023, पृ.सं.-
  1. सिंगर सुसान आर, हिल्टन मार्गरंट एल हिल्टन, (2019): अमेरिका लैब रिपोर्ट, National academia,org पृ.सं-91
  1. वर्मा, सुबोध (2014): The Times of India, Ranchi Edition,, dated 24.06.2014,Page-4-5, Column-2
  2. सी.एस.आर. परियोजना : Mobile Science Lab (2017-18) Page No - 04
  1. शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार (2020) : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ।
  1. कोठारी,डी.एस. (1966) : कोठारी आयोग की रिपोर्ट।
  1. प्रो. सिंह, विनोद (2018) : सरस्वती वर्ल्ड स्कूल, 20 Sep. 2018, linked in.com, Page-3       
  2. कुमार विभिन्न (2022): Hindiamrit.com, Dec 4, 2022, Page-3
  1. कोठारी डॉ. डी.एस. (1966) : कोठारी आयोग।
Overview Abstract Keywords Reference

2.भाषिणी: हर भाषा का सम्मान, हर दिल की आवाज

बबीता

सारांश


भारत अपनी समृद्ध भाषाई विविधता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, जहाँ 22 अनुसूचित भाषाओं और सैकड़ों बोलियों का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। डिजिटल युग में, इस विविधता को संरक्षित और सशक्त बनाने के प्रयास तेज़ी से हो रहे हैं, जिससे स्थानीय भाषाओं को भी तकनीकी प्रगति का लाभ मिल सके। हालाँकि हिंदी और अंग्रेज़ी का प्रभाव प्रशासन, शिक्षा, न्यायपालिका और डिजिटल स्पेस में प्रमुख बना हुआ है, फिर भी भारतीय भाषाओं को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में सकारात्मक पहल की जा रही है। इसी संदर्भ में, भारत सरकार द्वारा विकसित ‘भाषिणी’ एक महत्वपूर्ण नवाचार के रूप में उभर रहा है, जिसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) के माध्यम से भारतीय भाषाओं के डिजिटल प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना है। यह ऐप अनुवाद और वॉयस रिकग्निशन जैसी सुविधाएँ प्रदान करके भाषाई समावेशन को सशक्त करता है। यह शोध पत्र भारत में भाषाई विविधता के ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भों का विश्लेषण करता है और ‘भाषिणी’ की भूमिका का मूल्यांकन करता है। यह अध्ययन डिजिटल नवाचार, भाषाई समावेशन, नीति निर्माण और सतत बहुभाषावाद जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है। साथ ही, यह ‘भाषिणी’ के प्रभाव, इसकी संभावनाओं और भारतीय भाषाओं के भविष्य पर इसके सकारात्मक प्रभावों की समीक्षा करता है। यह शोध डिजिटल युग में ‘सतत बहुभाषावाद’ (Sustainable Multilingualism) की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए नीति-निर्माताओं, तकनीकी डेवलपर्स और समाज के व्यापक दृष्टिकोण को एकीकृत करने का प्रयास करता है, ताकि भाषाई समृद्धि और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।

 

बीज शब्द: भाषाई समानता, डिजिटल औपनिवेशिकता, भाषिणी, सतत बहुभाषावाद, AI और NLP

संदर्भ ग्रंथ सूची
1. https://bhashini.gov.in/en/about
2. https://bhashini. gov.in/images/Bhashini_-_ Whitepaper.pdf
3. https://pib.gov. in/PressReleseDetail.aspx?PRID=17860
4. https://pib. gov.in/PressReleaseIframePage.aspx18279975
5. https://pib. gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1839175
6. https://pib. gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=1786560
7. https://pib. gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1693887
8. https://www. boomlive.in/decode/what-is-bhashini-the-ai-tool-behind-the-tamil-translation-of-pm-modi-speech-23859
9. https://nehru sciencecentre.in/hindi/galleries-scipark/linguistic-diversity/
10. https://static. pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2022/aug/doc202282696201.pdf
11. https://www. jetir.org/papers/JETIR240 1141.pdf
12. https://static. pib. gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/jan/doc2025116486101.pdf
13. https://vajira mandravi.com/upsc-daily-current-affairs/prelims-pointers/what-is-bhashini-platform/

Overview Abstract Keywords Reference

3.ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  वाले बच्चों के अभिभावकों की  समस्याओं का गुणात्मक अध्ययन

डॉ. उजमा एजाज़ , डॉ. संबित कुमार पाढ़ी

सारांश:- 

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर विकास से संबंधित एक विकलांगता है जो कि बच्चे के सामाजिक ,व्यवहारिक एवं संप्रेषण कौशल को कई तरीके से प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व स्तर पर 160 में से 1 बच्चे को ऑटिज्म होता है ।  यह एक ऐसे विकृतियों का समूह है जिसमें विकास  के एक या एक से अधिक क्षेत्र प्रभावित होते हैं। इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एवं स्ट्रोक के अनुसार अनुवांशिक या पर्यावरण दोनों ही  ऑटिज्म की संभावना को निर्धारित करते  हैं । प्रस्तुत शोध अध्ययन ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  वाले बच्चों के अभिभावकों की  समस्याएं   पर आधारित है । इस शोध अध्ययन में शोध प्रविधि के रूप में साक्षात्कार को  अपनाया गया  हैं । न्यादर्श  के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य के ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  वाले बच्चों के  20  अभिभावकों को चयनित किया गया है । इनका चयन उद्देश्य पूर्ण न्यादर्श प्रविधि के द्वारा किया गया । शोधार्थी द्वारा स्वनिर्मित  साक्षात्कार अनुसूची का प्रयोग करते हुए प्रदत संकलित किए गए । प्रदत्त विश्लेषण हेतु विषय वस्तु विश्लेषण का प्रयोग किया गया। शोध निष्कर्ष के रूप में पाया गया कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों को हमेशा विशेष सहयोग की जरूरत पड़ती है । आटिज्म बच्चों के अभिभावकों को बच्चों को सिखाने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने पड़ते है । आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर वाले बच्चों में व्यवहारिक, समाजिक, शारीरिक विकास, बोल चाल संबंधी समस्याओं का मिलाजुला व्यवहार देखने को मिलता है । इसलिए आटिज्म वाले बच्चे को बाहर लेकर जाना अभिभावकों के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है । सयुंक्त परिवार वालों की तुलना में एकांकी परिवार वालों के लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण होता है । एकांकी परिवार वालों को  बच्चों की देख-भाल  करने में  बहुत अधिक  समस्या भी होती है जबकि संयुक्त परिवार में सभी सदस्य मिलकर बच्चे की देखभाल करते हैं । अध्ययन में  यह भी पाया गया कि इन बच्चों के अभिभावक अपने बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ही चिंतित, दुखी, हताश और निराश रहते हैं ।

बीज़ शब्द -  ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, सामाजिक व्यवहार , संचार कौशल

संदर्भ ग्रंथ सूची

अल् ताहिर, (2015). अटैचमेंट बिहेवियर इन चिल्ड्रन विद ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर. एडवांस इन मेंटल हेल्थ एंड   इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी, 9, 79-89.

 

इनोई, वाडा एवं निवोका, (2014). रिडिंग एविलिटी एंड देयर रिलेशनशिप टू अदर कोगनेटिव कमपोनेन्ट्स इन   चिल्ड्रन विथ हाई फंक्शनिंग परवेसिव डेवलोपमेन्टल डिसआर्डर. जनरल ऑफ कम्युनिटी गाइडेंस एंड रिसर्च 30, 355-358.

 

एडवुड, टी. (1995). एस्पर्जर सिंड्रोम आ गाइड फॉर पैरंट्स

 

एनन, (2008).  ग्रुप इनटेनसिव फेमेली  ट्रेनिंग  फार प्रीस्कूल चिल्ड्रन विथ ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर. बिहेवियर इंटरवेंशन, 23(3), 165-180

 

ऐशबी, (2015). एजुकेशनल  इंनक्लूजन   फॉर चिल्ड्रन विथ ऑटिज्म  इन पलेस्टिने थीसिस.

कोलमैन, (1982). अ सर्वे ऑफ नालेज अबाऊट ऑटिज्म अमंग एक्सपर्ट एण्ड केयरगीवर्स बिहेवियर डिसऑर्डर. 7, 189-196.

 

गुटस्टेन, (2007). ईवेल्यूशन ऑफ दा इफेक्टीवनेस आफ रिलेशनशिप डेवलेपमेंट इन्टरवेंशन प्रोग्राम ऑटिज्म. 11(5), 397-411.

 

चेम्बर्स, (2008). एडल्ट एटीट्यूटस टूअर्ड बिहेवियर ऑफ ए सिक्स ईयर ओल्ड बॉय विथ ऑटिज्म.जनरल ऑफ ऑटिज्म एंड डेवलोपमेन्ट डिसआर्डर, 38(7), 1320 .

 

जेन्स, (2015). ऑटिज्म इन अरबी चाइल्ड एजुकेशन माण्टेसरी इन्वायरमेंट पैरेन्ट्स एण्ड टीचर्स पर्सपेक्टिव. एम. एड . थिसिस, आकलैंड  यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी.

 

जुलेन, (2004). हेल्थ एंड सोशल केयर नीड्स ऑफ फैमिली  केयस् सपोर्टिंग  एडल्ट् विथ ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर. अमेरिकन जर्नल ऑफ आर्थोसाएका , 8, 425 – 444.

 

जोब्रोली, (2004).मदर्स सपोर्टिंग चिल्ड्रन विथ ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर. जनरल ऑफ ऑटिज्म सोसाइटी, 8(11), 409-423.

 

डेल, (2006). मदर एट्रीब्यूशन देयर चाइल्ड ऑफ ऑटिज्म स्पेक्ट्रम. जनरल ऑफ ऑटिज्म एंड डेवलपमेंट डिसऑर्डर , 1015, 465-479.

 

डेलीवो, (2017). ट्रांसलेटिंग स्टूडेंट्स  विथ ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर फ्राम स्कूल टू सोसाइटीज. अवैलाबल फ्रॉम प्रोकुस्ट डिसर्टेशन एंड थीसिस ग्लोबल (1885103659) .

 

दास, (2010). चिल्ड्रन विथ डिसएबिलिटी इन प्राइवेट इन्क्लूशन स्कूल इन मुम्बई. एक्सपीरियन्स एण्ड चैलेन्ज , 58 , 1323-1335 .

 

नेगेला, (2011).  इवेल्यूट दा इफेक्ट ऑफ काउंसलिंग फार मदर्स टू कोप देयर आटिस्टिक चिल्ड्रन. जनरल ऑफ कम्युनिटी गाइडेंस एंड रिसर्च , 23, 228-233.

 

Overview Abstract Keywords Reference

4. महात्मा गाँधी के सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के अनुप्रयोग : भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन 1917-1947 के संदर्भ में

रवि कुमार

सारांश:- 

महात्मा गाँधी भारतीय राजनीति का एक ऐसा व्यक्तित्व है जिनके बारे में भारत देश का हर नागरिक जानता है एवं उनके विचारों को फलीभूत होते देखना चाहता है। महात्मा गाँधी न केवल कर्मयोगी थे अपितु विश्व में उच्च कोटि के मानवता के लिये उतने ही विचारक थे। आज भी उनके विचार और दर्शन सम्पूर्ण मानवता के लिये उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने सामयिक परिस्थितियों में। स्वाधीनता के बाद गाँधीजी का नाम हम सब लेते तो रहते हैं, परन्तु उनके विचारों और कार्यों को तथा देश के लिये उनकी त्याग की भावनाओं को भूलते जा रहे हैं। लेकिन आज वह समय आ गया है जब महात्मा गाँधी द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों को विश्वव्यापी स्तर पर व्यवहार में लाना आवश्यक है। गाँधीजी के सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह जैसे विचार स्वतंत्रता आन्दोलन में इसकी विविधता एवं महानता व गहनता इतनी अत्यधिक है कि उसे भुलाया नहीं जा सकता। उनके विचार एक से बढ़कर एक है और यह सारे विचार एक सुख की अनुभूति कराते हैं। यह विचार बताते हैं कि सत्य, अहिंसा तथा सत्याग्रह के विचारों को समझने का अब समय आ गया है अगर हमें सही व्यवस्था को चुनना है तो गाँधीजी के विचारों को पढ़ना होगा, उन्हें समझना होगा और यही नहीं उन्हें लागू करने के लिये हमें हर प्रकार से प्रयत्न करने होगे। प्रस्तुत लेख का उद्देश्य महात्मा गाँधी के सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के अनुप्रयोग भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में इनकी भूमिकाओं को लेखबद्ध करना है।

बीज़ शब्द - भारतीय राजनीति, कर्मयोगी, सम्पूर्ण मानवता, स्वाधीनता, स्वतंत्रता आन्दोलन

संदर्भ ग्रंथ सूची

  • एम.के. गाँधी, यंग इण्डिया, पृ. ३
  • बाइबिल, सर्मन ऑन दी माउण्ट
  • डेविड थोरो, ऐसे ऑन सिविल डिसओबिडियन्स
  • जे. बी. कृपलानी-गांधी एक राजनीतिक अध्ययन, पृ. 12, सर्व सेवा संच, वाराणसी
  • मो.क. गांधी-आत्मकथा, पृ. 38, नवजीवन प्रकाशन, अहमदाबा
  • एम. के. गांधी-द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट विद् दूध, पृ. 532
  • मो.क. गांधी-आत्मकथा, पृ. 52, नवजीवन प्रकाशन, अहमदाबाद
  • विपिनचन्द्र – पूर्वोक्त, पृ. 429

 

Overview Abstract Keywords Reference

5. मन्नू भंडारी की कहानियों में सामाजिक संघर्ष और नारी चित्रण

डॉ.वंदना राणा

सारांश:- 

मन्नू भण्डारी हिन्दी साहित्य की प्रसिद्धकहानीकार एवं उपन्यासकार है। इनकेकथा-साहित्य में आधुनिकता का एक नयापनस्पष्ट दिखाई देता है। इन्होंने आम मनुष्य कीपीड़ा को बहुत ही गहराई से समझा है। अतःस्त्रियों को संघर्ष का एक नया मार्ग दिखाया है,भले ही वह परिवार के बीच हो या समाज केबीच, अपने लिए संघर्ष की नींव को हमेशाउज्ज्वेलित करना सिखाया है। मन्नू भण्डारी के कथा-साहित्य में भारतीय नारी की विविध स्थितियों को चित्रित किया गया हैं। नारी की समस्याएं आज भी हैं, जिनसे मुक्ति मिलने का प्रयास नारी कर रही है। जब नारी अपनी विविध स्थितियों में अपने अस्तित्व और अस्मिता को सुरक्षित रख सकेगी, तभी उसे गरिमा प्राप्त होगी। नारी विमर्शकारों में मन्नू भण्डारी का नाम उल्लेखनीय है। वह नारीवादी विमर्शकारों से अलग विचार रखती है। इनके कथा साहित्य में नारी विमर्श के अनेक सोपनों को उठाया गया है। नारी विमर्श में यौन स्वतंत्रता का मन्नू भण्डारी विरोध करती है। नारी की आर्थिक स्वतंत्रता ने उसके सम्बन्धों को बदल दिया है। वर्तमान समय में मन्नू भण्डारी के साहित्य में नारी के स्वरूपों को बताया गया है।

बीज़ शब्द - कथा-साहित्य, नारीवादी, विमर्शकारों, नारी विमर्श आर्थिक स्वतंत्रता।

संदर्भ ग्रंथ सूची

  • 1-आर.एस. सिंह, मन्नू भारतीय साहित्य, पृ. 133

    2-वही, पृ. 150

    3-मन्नू भण्डारी, दस प्रतिनिधि कहानियाँ, (घुटन-कहानी) पृ. 6

    4-वही-कहानी (नई नौकरी), पृ. 12

    5-आर.एस. सिंह, मन्नू भारतीय साहित्य, पृ. 152

    6-मन्नू भण्डारी, दस प्रतिनिधि कहानियाँ (कहानी-आते जाते यायावर)

    7-मन्नू भण्डारी, दस प्रतिनिधि कहानिया, बंद दराजों का साथ (कहानी), पृ. 26

    8-वही, एक बार और (कहानी), पृ. 38

    9-वही, तीन निगाहों की एक तस्वीर (कहानी), पृ. 42